डैनियल काह्नमैन, प्रसिद्ध इसराइली-अमेरिकी मनोवैज्ञानिक, जिन्होंने ‘थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो’ लिखी, उन्होंने भी अपने जीवन के अंतिम क्षणों में आत्महत्या का फैसला किया। यह खबर चौंकाने वाली थी।
एक ऐसा व्यक्ति जिसने जीवनभर इंसानी सोच और निर्णय लेने की प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया, उसने ऐसा कठोर निर्णय क्यों लिया? क्या यह किसी गहरी मनोवैज्ञानिक या जैविक समस्या का परिणाम था?
इस ब्लॉग में हम आत्महत्या के कारणों को मनोविज्ञान, जैविक और सामाजिक पहलुओं से समझने की कोशिश करेंगे।
आत्महत्या क्यों?
जब कोई अमीर, सफल, या खुश दिखने वाला इंसान आत्महत्या कर लेता है, तो सबसे पहला सवाल यही आता है – “आखिर क्यों?”
क्या आत्महत्या करने वाले लोग मानसिक रूप से कमजोर होते हैं? क्या हमेशा कोई बड़ा कारण होता है? या यह जैविक भी हो सकता है?
आइए, इसे गहराई से समझते हैं।
आत्महत्या के लक्षण और चेतावनी संकेत (Red Flags)
अक्सर लोग आत्महत्या के पहले किसी न किसी रूप में संकेत देते हैं। यह संकेत सूक्ष्म हो सकते हैं, लेकिन ध्यान दिया जाए तो पहचाने जा सकते हैं।
🔴 बातों में बदलाव: “अब जीने का कोई मतलब नहीं रह गया…” या “काश मैं सो जाऊं और कभी न उठूं।”
🔴 व्यवहार में बदलाव: अचानक खुद को समाज से अलग कर लेना, ज़रूरी चीज़ें बांटना, इच्छाएं पूरी करने की जल्दी दिखाना।
🔴 भावनात्मक बदलाव: गहरी उदासी, निराशा, गुस्सा, या अचानक से बहुत खुश होना (जो आत्महत्या का निर्णय लेने के बाद हो सकता है)।
🔴 शारीरिक संकेत: नींद में गड़बड़ी, भूख न लगना, ऊर्जा की कमी।
आत्महत्या के कारण (Etiology)
आत्महत्या के पीछे सिर्फ एक कारण नहीं होता, बल्कि यह कई कारकों का नतीजा हो सकता है।
1️⃣ मनोवैज्ञानिक कारण
- डिप्रेशन: 90% आत्महत्या करने वाले किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
- आत्म-सम्मान की कमी: “मैं किसी काम का नहीं हूँ” जैसी सोचें।
- आशा की कमी: “कोई रास्ता नहीं बचा” जैसी भावनाएँ।
- दर्द सहने की क्षमता का कम होना।
डैनियल काह्नमैन की शोध हमें बताती है कि हमारा मस्तिष्क दो तरह से सोचता है – फास्ट थिंकिंग और स्लो थिंकिंग।
जब कोई आत्महत्या के विचारों से जूझ रहा होता है, तो उसकी स्लो थिंकिंग कमजोर पड़ जाती है, और त्वरित निर्णय (Fast Thinking) हावी हो जाता है। इस दौरान व्यक्ति अपने जीवन का मूल्यांकन गलत तरीके से कर सकता है और अंततः आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है।
2️⃣ सामाजिक कारण
- आर्थिक संकट: नौकरी छूटना, कर्ज़ में डूबना।
- रिश्तों में तनाव: तलाक, ब्रेकअप, पारिवारिक विवाद।
- बुलिंग या सामाजिक तिरस्कार।
- सेलिब्रिटी या मीडिया में आत्महत्या की खबरों का असर।
3️⃣ जैविक कारण
- सेरोटोनिन की कमी: यह न्यूरोट्रांसमीटर मूड को नियंत्रित करता है। इसकी कमी से आत्महत्या का खतरा बढ़ सकता है।
- जेनेटिक फैक्टर: अगर परिवार में किसी ने आत्महत्या की हो, तो संभावना बढ़ जाती है।
एपिडेमियोलॉजी (Epidemiology) – आंकड़ों की नजर से
- WHO के अनुसार, हर साल लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं।
- 15-29 वर्ष की उम्र में मृत्यु का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
- भारत में हर 4 मिनट में एक आत्महत्या होती है।
- पुरुषों में आत्महत्या की दर महिलाओं से अधिक होती है।
पैथोजेनेसिस (Pathogenesis) – आत्महत्या दिमाग में कैसे जन्म लेती है?
👉 नकारात्मक सोच → निराशा → आत्मघाती विचार → आत्महत्या की योजना → आत्महत्या का प्रयास
👉 मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामिन की कमी, सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
👉 अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो यह एक चक्र बन जाता है।
📞 सहायता लें – आत्महत्या रोकथाम संभव है!
अगर आप या आपका कोई अपना आत्महत्या के विचारों से जूझ रहा है, तो तुरंत मदद लें।
👨⚕ Dr. Rameez Shaikh, MD (Psychiatrist & Counsellor)
📍 माइंड & मूड क्लिनिक, नागपुर (भारत)
📞 +91-8208823738
आप अकेले नहीं हैं। मदद उपलब्ध है। ❤️
📌 Disclaimer:
यह ब्लॉग केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किसी योग्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लें।

Dr. Rameez Shaikh (MBBS, MD, MIPS) is a consultant Psychiatrist, Sexologist & Psychotherapist in Nagpur and works at Mind & Mood Clinic. He believes that science-based treatment, encompassing spiritual, physical, and mental health, will provide you with the long-lasting knowledge and tool to find happiness and wholeness again.
Dr. Rameez Shaikh, a dedicated psychiatrist , is a beacon of compassion and understanding in the realm of mental health. With a genuine passion for helping others, he combines his extensive knowledge and empathetic approach to create a supportive space for his patients.