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डिसोसिएटिव फ्यूग- Dissociative Fugue

डिसोसिएटिव फ्यूग एक बहुत ही रोचक और जटिल मानसिक स्थिति है। इसमें व्यक्ति अचानक अपने जीवन से कट जाता है, और कहीं और चला जाता है, बिना ये जाने कि वह कौन है या कहाँ से आया है। समझ में ये बात आए कि ऐसा क्यों हुआ—ये थोड़ा मुश्किल होता है। चलिए इसे विस्तार से समझते हैं!

परिचय

डिसोसिएटिव फ्यूग में व्यक्ति अचानक से अपना पहचान, यादें, और अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी भूल जाता है। कई बार वह दूसरी जगह चला जाता है, और जब तक होश आता है, तब तक वह ये नहीं जान पाता कि वहां कैसे पहुंचा। ये अवसाद, तनाव, या आघात (trauma) की वजह से हो सकता है। इसका मतलब ये नहीं कि व्यक्ति पागल है—यह दिमाग की एक प्रतिक्रिया है, जिससे वह खुद को तनाव से बचाने की कोशिश करता है।

लक्षण

अब बात करते हैं इसके लक्षणों की:

  1. अचानक याददाश्त खो देना – व्यक्ति अपने जीवन की महत्वपूर्ण जानकारियाँ भूल जाता है। उसे अपने परिवार, दोस्तों, कामकाज की कोई याद नहीं रहती।
  2. अनजानी जगह पर होना – व्यक्ति अचानक अनजानी जगहों पर पहुंच सकता है। बिना कोई योजना बनाए यात्रा कर सकता है।
  3. नई पहचान बना लेना – कई बार व्यक्ति अपने लिए नई पहचान बना लेता है, जैसे कि नाम बदलना या एक अलग ज़िन्दगी जीना।
  4. ध्यान में कमी – व्यक्ति सामान्य रूप से सोचने, ध्यान देने या अपनी परिस्थिति को समझने में कठिनाई महसूस कर सकता है।

एटियोलॉजी (कारण)

अभी तक 100% सही कारण तो नहीं पता, पर कुछ सामान्य कारणों पर ध्यान दिया जा सकता है:

  1. भावनात्मक आघात (Trauma) – बचपन में किसी गहरे मानसिक या शारीरिक आघात का अनुभव करना। जैसे कि किसी प्रियजन की मृत्यु, हिंसा या शोषण।
  2. अत्यधिक तनाव – ऐसा तनाव, जो सहन करने की सीमा से बाहर हो। इसमें काम का दबाव, रिश्तों की समस्याएं, या आर्थिक तंगी शामिल हो सकती है।
  3. मस्तिष्क में असंतुलन – कुछ अध्ययनों के अनुसार, दिमाग के कुछ हिस्सों में असंतुलन होने से ये समस्या हो सकती है।

उदाहरण

मान लीजिए कि एक व्यक्ति जिसका नाम रवि है, उसे नौकरी से निकाल दिया गया। इससे उसे बहुत बड़ा झटका लगा। अगले दिन वह अचानक से अपने परिवार को छोड़कर बिना किसी को बताए, दूसरी जगह चला गया। वह एक अलग शहर में पहुंचकर अपना नाम बदल कर ‘अजय’ रख लेता है और नई नौकरी भी कर लेता है। उसे इस बात की कोई याद नहीं कि वह पहले कहाँ था या कौन था। कुछ हफ्तों बाद, उसे अचानक याद आने लगता है कि वह रवि है, और वह अपने असली घर वापस आ जाता है। यह घटना डिसोसिएटिव फ्यूग का एक उदाहरण है।

निजी अनुभव

जब मैंने इसे गहराई से समझा, तो मुझे अहसास हुआ कि ये एक डिफेंस मेकानिज्म की तरह है—हमारा दिमाग कुछ दर्दनाक परिस्थितियों से बचने के लिए ये करता है। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करते हुए, मैंने देखा है कि अक्सर जिन लोगों ने बहुत गहरी तकलीफें झेली हैं, वे इस स्थिति का सामना कर सकते हैं।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को डिसोसिएटिव फ्यूग जैसी समस्या का अनुभव हो रहा हो, तो कृपया तुरंत एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें। उपचार और निदान व्यक्तिगत मामलों पर आधारित होते हैं।

डॉ. रमीज़ शेख

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